गुरुवार, 24 मई 2018

सिक्खों की शहादत की कीमत कौन जाने!


सिक्खों की शहादत की कीमत कौन जाने!
औरंगजेब के शासन काल मे कश्मीर का नवाब जैनुअल आब्दीन था।कश्मीर में कश्मीरी पंडितों व मुसलमानों के बीच दंगे होने लग गए थे तो जैनुअल आब्दीन ने सख्ती का प्रयोग किया।बल प्रयोग से त्रस्त एक हजार कश्मीरी पंडित कृपादत के नेतृत्व में सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर से तिलक-जनेऊ के लिए मदद मांगने आये थे।गुरु तेग बहादुर जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो गए और हजारों सिक्खों की सेना के साथ कूच किया।साथ मे भाई मतिदास,भाई सतीदास व भाई दयाला भी थे।

सिक्खों के कत्लेआम,इंदिरा गांधी की हत्या 1984


31अक्टूबर1984
समय 11.00am
भारत सरकार की तरफ से विदेशों में स्थित दूतावासों व उच्चायोगों में एक टेलीफेक्स भेजा गया जिसमें लिखा था इंदिरा गांधी पर दो सिक्खों व एक मोने आदमी ने अटैक कर दिया।इसका दावा अजमेरा सिंह रंधावा ने अपनी पुस्तक "1984 विसाहघात - नंगा सच"में किया है।पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट के पूर्व जस्टिस श्री आर एस नरुला ने नानावटी कमीशन जो कि 8मई2000 को सिख दंगों की जांच के लिए एक अध्यादेश द्वारा नियुक्त किया गया था, अपनी 30 प्रश्नों की प्रश्नावली में सब से प्रथम प्रश्न भी यही पूछा गया था कि वो तीसरा मोना आदमी कौन था?लेकिन उसका पता किसी को नहीं चल पाया।

बुधवार, 16 मई 2018

झूठे डर की जड़ता में.......

झूठे डर की जड़ता में.......
एक महान राजा हुआ करता था।उसको एक दिन सबसे महंगी व् अनूठी ड्रेस पहनने की इच्छा हुई।उसने सभी मंत्रियों को आदेश दिया कि ऐसी ड्रेस की व्यवस्था की जाए कि जो आजतक किसी ने इस लोक में पहनी नहीं हो!सबने अपने अपने हिसाब से प्रयास करने शुरू कर दिए।कहीं कोई ऐसा कपडा व् दर्जी नहीं मिला कि इस तरह की मांग पूरी हो सके।अंत में एक फ़क़ीर ने ऐसी ड्रेस लाने की बात कही तो उसे राज दरबार में पेश किया गया।फ़क़ीर ने कुल मिलाकर दस हजार रूपए खर्च बताया।उसने बताया कि ऐसी ड्रेस परलोक से लानी पड़ेगी।मैं चमत्कार से वहां जाऊंगा और ले आऊंगा।राजा ने पैसे दिए और पंद्रह दिन का समय दिया गया।फ़क़ीर दस हजार रूपए लेकर गायब हो गया।दरबारियों ने सोचा कि अब फ़क़ीर वापिस नहीं आएगा!

धरातल पर गठबंधन


भीम आर्मी वालों नजर घुमाओ!तथाकथित दलित ब्राह्मणों के घरों की गंदगी साफ करके हाथ जोड़कर खड़ा रहता है कि जो मिल जाये वो ही मुकद्दर है और किसानों के खेत मे सहयोगी बनकर हफ्तावसूली कर रहा है!ब्राह्मणवादी व्यवस्था के गुलाम हमारे यहां भी है तो तथाकथित हिन्दू आपके यहाँ भी है।अगर ओबीसी/एस सी/एस टी को एकजुट चाहते हो तो दलित-दलित खेलने के बजाय किसान कौमों के साथ सामंजस्य बैठाओ👌

लोकतंत्र पर थूकता ब्राह्मणवाद!


लोकतंत्र पर थूकता ब्राह्मणवाद!
दो अप्रैल के भारत बंद में 17दलितों की हत्या कर दी गई और पंडित परशुराम की जयंती पर थानेदार ने हथियार न लहराने को बोला तो पहले तो उसके साथ बदतमीजी की गई व बाद में खुद एसपी साहब की मौजूदगी में माफी मंगवाई गई।ज्ञात रहे राजस्थान में सिर्फ 5%ब्राह्मण है!परंपरागत आरक्षण इस देश को खा रहा है या संवैधानिक आरक्षण खा रहा है आप खुद विश्लेषण कीजिये।
अगर थानेदार माफी नहीं मांगता तो ब्राह्मण आईजी उसको परेशान करते!ब्राह्मण महासभा का ब्राह्मण वकील झूठे इल्जाम लगाकर मुकदमा करता और ब्राह्मण जज उसको सजा देता और ब्राह्मण मंत्री उसको नौकरी से बर्खास्त करता!

राजा बलि से महाबली का भागवतपुराण....


राजा बलि से महाबली का भागवतपुराण....
उत्तर-पश्चिमी भारत मे राजा बलि की बहुत सी कथाएं प्राचीनकाल से ब्राह्मणों द्वारा गाई व सुनाई जाती रही है।आज भी जब भी ब्राह्मणों को दान/चंदे की जरूरत होती है तो राजा बलि का नाम लोगों के बीच महादानी के रूप में प्रचारित किया जाता है ताकि लोगों में दान देने का जोश पैदा हो!
जब राजा हिरण्यकश्यप ने ब्राह्मणों को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया तो उसी के बेटे को बरगलाकर उसके खिलाफ खड़ा कर दिया गया।प्रहलाद को आगे करके उसकी बुआ होलिका व बाप हिरण्यकश्यप को खूब बदनाम किया गया और जनता को भड़काकर नरसिंह ब्राह्मण के नेतृत्व में सत्ता पर कब्जा कर लिया गया!

सोमवार, 14 मई 2018

मैँ बुद्ध की धरती से आया हूँ....



मैँ बुद्ध की धरती से आया हूँ....
आपने यह शब्द लगभग हर भारतीय प्रधानमंत्री, मंत्री या बड़े अधिकारी के मुंह से विदेशों में बोलते हुए सुना होगा।ऐसा क्या कारण है कि ये लोग देश मे हिन्दू-हिन्दू,श्रीराम का गुणगान करते है और विदेश जाते ही इनका सुर बदल जाता है!इसको जानने के लिए आइए इतिहास के झरोखों में लिए चलता हूँ व आपको बताता हूँ कि किस प्रकार यह बुद्ध की धरती है और किस प्रकार महात्मा बुद्ध अर्थात सिद्धार्थ बुद्ध से 2500 साल पहले से बौद्ध धर्म चला आ रहा था!

jhuth

श्री श्री विपुलदेवजी महाराज कह रहे है कि महाभारत काल मे संजय सेटेलाइट के जरिये लाइव टेलीकास्ट दे रहा था मतलब इंटरनेट की खोज उस समय भारत मे हो गई थी!श्री श्री विजय रूपानी जी कह रहे है कि गूगल पर तो सर्च करना पड़ता है लेकिन नारद मुनि गूगल से भी विकसित गुरु थे जो मुफ्त में घर-घर दुनिया की जानकारी पहुंचाते थे!मंत्री श्री श्री 420 आचार्य त्रिवेदीजी कह रहे है कि ब्राह्मणों के पास इतनी ताकत थी कि ग्वाले को उठाकर भी भगवान बना देते थे!ब्राह्मणों के पास चंदा/दान देने वालों को भगवान घोषित करने की ताकत तो थी लेकिन इस देश की जनता को भुखमरी से नहीं बचा सकी, गुलामी से नहीं बचा सकी।आज देश के जो भी हालात है वो हजारों सालों से चली आ रही ब्राह्मणवादी व्यवस्था का परिणाम है।इन लोगों को चुना तो भविष्य बेहतर करने के लिए लेकिन ये लोग इतिहास बेहतर बताने में लग गए।
गरीबी में नंबर वन,बेरोजगारी में नंबर वन,भिखमंगों में नंबर वन,जातीय भेदभाव में नंबर वन इस देश में क्वालिटी मेन्टेन करने वाले तथाकथित मेरिटधारियों का क्या योगदान है?
जब इस देश में जातीय व्यवस्था नहीं थी तब हमने शून्य की खोज कर ली थी।0-9 की न्यूमेरिक हमने दुनिया को दे दी थी।फिर ये तथाकथित मेरिटधारी गुणवत्ता सुधारने आये और एकाएक खोजों पर ब्रेक कैसे लग गया!इन मेरिटधारियों ने कौन-कौन सी खोजें की जो दुनियां की बेहतरी के लिए काम आ रही है?याद नहीं आ रही है न!मैं बताता हूँ ध्यान से पढ़ो....
1.पुष्पक विमान से हवाई यात्रा होती थी
2.देवता चूहों व् सांपों पर बैठकर दुनियां भ्रमण करते थे
3.वानर पर्वत लेकर उड़ते थे
4.वानर का छोटा बच्चा सूर्य को निगल रहा था
5.ब्रह्मास्त्र दुश्मन को मारकर वापिस आकर टोकरी में पड़ता
6.IVF तकनीक ऐसी की घूरकर देख लेने मात्र से औरतें गर्भवती हो जाती थी
7.मछलियां मनुष्य पैदा कर रही थी
8.शल्य चिकित्सा इतनी उत्कर्ष कि इंसानों की देह पर हाथी के सिर सेट कर देते थे
9.परीक्षाएं कागज-कलम के बजाय अग्नि से होती थी
10.महागुणी-महाज्ञानी पढ़कर नहीं बनते बल्कि सीधे पैदा होते थे
11.यज्ञों से क्षेत्रीय पैदा कर देते थे
12.नाम लिखने मात्र से पत्थर पानी पर तैर जाते थे।
13.दिव्य दृष्टि से महाभारत का लाइव टेलीकास्ट होता था।
ये तो सिर्फ इनके कुछ उदाहरण मात्र है।खोजे तो इनकी अनन्त है और अभी भी जारी है।श्राद्ध में ये खाना खुद खाकर मृत आत्माओं को भेज देते है!आपने दुनियां में ऐसी कोई डाक व्यवस्था देखी है?फिर एकाएक यह आरक्षण रूपी दानव आया और इनकी खोजे बड़े स्तर पर प्रभावित हुई।यह बात जरूर है कि इनकी खोजे मुट्ठी भर लोगों के लिए बिना कमाएं ही खाने का इंतजाम कर गई लेकिन जनता की खुशहाली के लिए कुछ काम नहीं आई।
अब ये क्वालिटी मेन्टेन करने वाले मेरिटधारी लोग स्कालरशिप ख़त्म करने की बात कर रहे है।सीटें कम करने की बात कर रहे है।विश्वविद्यालयों में बोली पर लगाम लगाना चाह रहे है।अब आप सोचो कि लोकतंत्र बोली से चलेगा या गोली से?आज हमारे जीवन में उपलब्ध हर भौतिक सुविधा के साधनों की खोज यूरोप-अमेरिका में हुई।इनकी खोजे हमारे कहाँ काम आ रही है?कदम-कदम पर ये लोग अन्याय व् अत्याचार करते है।कदम-कदम पर ऊंच-नीच की गाथाएं गा रहे है।आज देश में सबसे ज्यादा दुखी लोग विंध्य-सतपुड़ा के क्षेत्र में रहने वाले लोग है।उनके नीचे अरबों का खजाना है लेकिन ऊपर लाठी-बंदूकों से आक्रमण हो रहा है।उन आदिवासियों को आरक्षण देने पर इन लोगों को आपत्ति है।उन लोगों को जे एन यू में ग्रांट मिले तो बताते है कि नक्सली पैदा हो रहे है।अगर तुम्हारे अन्याय व् अत्याचारों से दुखी होकर कोई रोहित वेमुला या अमित चौधरी यह कहकर आत्महत्या कर ले कि मेरा पैदा होना ही गुनाह है तो तुम्हारी इन खोजों को क्यों न आग के हवाले कर दिया जाये!तुम्हारी ये खोजे हर घड़ी,हर कदम पर अन्याय करती है,अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांक लेते?
वक्त का तकाजा है कि वैज्ञानिकता के आधार पर आगे बढ़ा जाये।तर्कों के आधार पर पूरे देश में चर्चाएं हो,संगोष्ठियां हो,वाद-विवाद हो ताकि लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा हो,संविधान मजबूत हो!संविधान व् आरक्षण की खिल्ली उड़ाने लोगों को हर मंच से पूछो कि सदियों तक तुम मेरिटधारियों ने इस देश,इस समाज को क्या दिया है?ये मुट्ठी भर लोग इतने शातिर किस्म के होते है कि कुछ पोस्टों के लिए भर्ती एक पद की निकालेंगे!ले लो आरक्षण!अब एक आदमी को फाड़कर तो आरक्षण ले नहीं पाएंगे!जितनी भी बड़ी पोस्ट है वहां पर एक एक करके पद भरे जाते है।उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पदों से आरक्षण ख़त्म करने के नोटिफिकेशन जारी कर रहे है।अब ये लोग गुरुकुल बनाकर द्रोणाचार्य से एकलव्य का अंगूठा लेने की फिर से कोशिश में है।इसलिए इनकी चुपड़ी बातों में आने के बजाय संविधान व् विज्ञानं से चिपक जाओ।इन शंभूनाथ की रामनवमी की शोभायात्रा में झांकी सजाने वालों के चक्कर मे फंसने के बजाय शिक्षा की अलख जगाओ।नहीं तो अत्याचारों से त्रस्त लोगों को यही कहकर मरना पड़ेगा कि मेरा जन्म ही मेरा गुनाह है!
देखिए देश की तकदीर अब वैज्ञानिक,शिक्षक,रक्षा विशेषज्ञ,किसान,जवान नहीं बल्कि जेएनयू से निकले मंत्र विशेषज्ञ बदलेंगे!
प्रेमाराम सियाग
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भारत मे मजदूर होना गुनाह है।


भारत मे मजदूर होना गुनाह है।भारत मे सबसे ज्यादा रोजगार असंगठित क्षेत्र में है।इसमें पुरुष की तुलना में महिला को तकरीबन 70%दिहाड़ी व बच्चों को आधी दिहाड़ी मिलती है।यह भी सच है कि असंगठित क्षेत्र में लगे मजदूरों में आधी से ज्यादा संख्या महिला व बच्चों की है।आज महिला दिवस पर मोमबत्ती मार्च निकालने वाली मोटी बिंदी गैंग भी मजदूर दिवस की बधाई दे रही है व बचपन बचाओ आंदोलन वाले भी बधाइयां दे रहे थे!मजे की बात यह है कि जिनके महल मजदूरों के शोषण पर खड़े थे,जिनकी कुर्सियां मजदूरों के सपनों के पंखों को बांसुरी बजाकर सजी है वो भी आज बधाइयां दे रहे थे!

किसान-कमेरे और छात्र राजनीति


जय नारायण यूनिवर्सिटी जोधपुर की छात्रसंघ अध्यक्ष बहन कांता ग्वाला ने blue heaven नाम से आज एक कार्यक्रम का आयोजन इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर में किया है।मुझे ज्यादा जानकारी तो नहीं है लेकिन जब भाई हार्डी संधू गा रहा था तो पीछे के पोस्टर पर मेरी नजर पड़ी तो वहाँ बहन कांता के साथ उसके भाई चेतन ग्वाला का संधू के बराबर एक फोटो नजर आया था।पता नहीं बहन अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर रही थी या भाई बहन को आगे करके अपना राजनीतिक धरातल तलाश रहा था!

धर्म क्या है?


धर्म क्या है?
वर्तमान धर्मों का स्वरूप देखा जाए तो कहीं पर भी मुझे धर्म जैसा नजर ही नहीं आता है।जहां ध्यान नहीं वहां धर्म नहीं है।एकाग्र होकर आधा घंटा अपने आप के अंदर झांकने का अस्तित्व नहीं वहां कैसा धर्म है!आधा घंटा शांतचित्त बैठकर अपनी चेतना को जगाने की कोई व्यवस्था नहीं,खुद से खुद का परिचय नहीं करवाया जा सकता वहां कौनसा धर्म होता है!धर्म प्रकृति का विकसित रूप होना चाहिए था!धर्म प्रकृति का सहभागी होना चाहिए था!

प्राचीनकाल में गौधन ही मुख्य धन


प्राचीनकाल में गौधन ही मुख्य धन कहा जाता था।गायों का सदा अपना महत्व रहा है।प्राचीनकाल में मुद्रा थी,मध्यकाल में मुद्रा व दुधारू गाय के रूप में सयुंक्त मोर्चा संभाल रही थी व आधुनिक काल मे माता के रूप में प्रकट होकर दूध की जगह वोट देने लग गई।
जब किसी पशु का महत्व पाखंड व अंधविश्वास से जोड़ दिया जाता है तो उस पशु का महत्व घट जाता है।आज माता अवारा घूम रही है और राजनीति उस पर वोट बटोर रही है।माता-माता के शोरगुल के बीच आज गाय इस देश का सबसे दरिद्र पशु बन चुका है।गलियों में पॉलीथिन खाकर हड्डियों पर चिपकी चमड़ी वाला ढांचा गिरता है वो दुबारा खड़ा नहीं हो पाता है।तिल-तिलकर मरते इस पशु का कोई धणी-धोरी नहीं है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 80साल पुरानी जिन्ना की तस्वीर


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 80साल पुरानी जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए एकाएक तथाकथित राष्ट्रवादी/हिंदूवादी संगठनों को याद क्यों आई?इसके पीछे गूढ़ रहस्य है।यूपी के उपचुनावों में सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन से बुरी तरह मात खाई बीजेपी विकास के नाम पर चुनाव जीत नहीं सकती।गन्ना किसान परेशान है।कैराना के सांसद हिन्दू पलायन का राग अलापते-अलापते खुद दुनियाँ से पलायन कर गए और यह सीट रिक्त हो गई!

मां बाप की महत्वकाक्षां और अनर्गल दबाव


उन अभिभावकों के लिए जो मुर्गी को दबाकर अंडा निकालना चाहते है व उन बच्चों के लिए जो मां बाप की महत्वकाक्षांओं की पूर्ति करने की कोशिश में अपना जीवन जवानी की दहलीज पर आते-आते ही पूरा कर लेते है।
पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था।
बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता।
इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया ।

भविष्य की भूली-बिसरी प्रजाति....किसान

भविष्य की भूली-बिसरी प्रजाति....
देश मे हर साल घोटालों की चर्चा होती है।मीडिया के माध्यम से चोरों का एक दूसरे को चोर साबित करने का नाटक हर साल एकता कपूर के सीरियल की तरह चलता रहता है जो कभी खत्म न होने वाला नासूर बन चुका है।
नेहरू के जीप घोटाले से लेकर जीजा घोटाले तक और बंगारू लक्ष्मण की लक्ष्मण रेखा लांघकर वर्तमान बीजेपी के अध्यक्ष अमितशाह के बेटे जय शाह की शान में जयकारे लगाने वाला घोटाला हो लेकिन एक ट्रेंड देखिए इस देश मे कि हर साल किसानों की मेहनत पर लाखों करोड़ का घोटाला हो जाता है लेकिन इसे कोई घोटाला ही नहीं मानता है!

रोग का इलाज

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1997में हमने 9वीं कक्षा में प्रवेश किया और दो भाई अग्रिम पंक्ति में बैठ गए।क्लास के लड़कों ने हमे आकर बोला कि यहां बन्ना लोग आकर बैठते है।हमारे गांव में हमारे दादाजी ने शायद इस रोग का इलाज पहले कर दिया था इसलिए पहली पंक्ति में बैठे तो किसी बन्ना श्री का प्रकोप हमारे आसपास नहीं फ़टका था!हमारे मन मे जिज्ञासा थी कि कक्षा में बैठने में क्या बन्ना श्री और क्या कोई अन्य?हम डटकर बैठे रहे।

बीजेपी आईटी सेल

बीजेपी आईटी सेल के पत्ते खुलने लगे तो बौखलाहट सामने आने लग गई है।जो जहर बीजेपी की आईटी सेल ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशभर में घोला है उसका परिणाम खुद को उल्टा प्राप्त होना शुरू हुआ तो चरमपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को अपना मान-सम्मान का ख्याल आने लग गया!देशभर के नागरिकों को धर्म व जाति में धकेलकर जो कचूमर निकाला था उसका हिसाब कौन देगा?

BHAGAT SINGH GATE शहीद भगतसिंह गेट


लाहौर ,पाकिस्तान में शहीद भगतसिंह गेट बनकर तैयार हो गया।1947से पहले आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी दोनों देशों की साझा विरासत है।आजादी के परवानो को सम्मान देना हर किसी के बूते की बात नहीं है।
आज दो खबरे साथ मिली।दुसरीं खबर राणा प्रताप की थी।दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास राणा प्रताप की मूर्ति का अनावरण किया गया व साथ मे चरमपंथी संगठन बजरंग दल ने अकबर रोड़ के दिशा सूचक पर राणा प्रताप रोड़ का लेबल चिपका दिया।

क्योंकि मैं किसान हूँ....

क्योंकि मैं किसान हूँ....
देश का प्रधानसेवक सिर्फ झूठ का झंडाबरदार बनकर रह जाये व राजस्थान की मुख्यमंत्री जय जय राजस्थान करके माल बटोरने में लग जाये और मुख्य विपक्षी संकट ग्रस्त प्रजाति का अल्पविकसित प्राणी दृश्य से ही गायब हो जाये तो खुद किसान को कौम व देश के लिए सड़क पर उतरना पड़ता है।सब मिलकर देश को लूट रहे है और एक मैं हूँ बिना सर्दी,गर्मी,बरसात की परवाह किये अध् नंगे बदन से रात दिन अपने पुरुषार्थ में लगा हुआ हूँ।क्योंकि मैं किसान हूँ।

उठने से पहले क्यों लड़खड़ा जाती है राजस्थान की बहुजन राजनीति?

उठने से पहले क्यों लड़खड़ा जाती है राजस्थान की बहुजन राजनीति?

पिछले दिनों मैंने तीसरे मोर्चे को लेकर 5-7लेख लिखे थे जिसमें मुझे भरपूर गालियां मिली थी।आलोचना करने का व अपना मत व्यक्त करने का अधिकार सबको है लेकिन संवैधानिक मर्यादा भूलकर व्यक्तिगत आरोप/लांछन लगाना व अमर्यादित भाषा का उपयोग करने का अधिकार किसी को भी नहीं था फिर भी मैंने इन हरकतों को नजर अंदाज करने की कोशिश की थी!मैं एक कलमकार हूँ और मेरा फर्ज बनता है कि मैं सत्य का आईना बना रहूँ।