बुधवार, 16 मई 2018

राजा बलि से महाबली का भागवतपुराण....


राजा बलि से महाबली का भागवतपुराण....
उत्तर-पश्चिमी भारत मे राजा बलि की बहुत सी कथाएं प्राचीनकाल से ब्राह्मणों द्वारा गाई व सुनाई जाती रही है।आज भी जब भी ब्राह्मणों को दान/चंदे की जरूरत होती है तो राजा बलि का नाम लोगों के बीच महादानी के रूप में प्रचारित किया जाता है ताकि लोगों में दान देने का जोश पैदा हो!
जब राजा हिरण्यकश्यप ने ब्राह्मणों को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया तो उसी के बेटे को बरगलाकर उसके खिलाफ खड़ा कर दिया गया।प्रहलाद को आगे करके उसकी बुआ होलिका व बाप हिरण्यकश्यप को खूब बदनाम किया गया और जनता को भड़काकर नरसिंह ब्राह्मण के नेतृत्व में सत्ता पर कब्जा कर लिया गया!
यह उसी प्रकार का कारनामा था जिस प्रकार का अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के साथ किया था!लेकिन धूर्तता,छल,कपट से हासिल की गई सत्ता लंबी नहीं चलती।प्रहलाद के पौते व विरोचना के बेटे बलि को जब धीरे-धीरे माजरा समझ मे आया तो ब्राह्मणों को राज्य से बाहर निकाल दिया।गुस्साए ब्राह्मणों ने इंद्र के नेतृत्व में राजा बलि के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।दोनों में युद्ध हुआ और राजा बलि के हाथों ब्राह्मणों को बुरी तरह पराजय मिली।
राजा बलि व इंद्र के बीच हुए इस युद्ध को देवासुर संग्राम कहा गया और इसे देवताओं व असुरों के बीच युद्ध की संज्ञा दी गई!ब्राह्मण लोगोँ ने खुद को देवता और यहां के मूलनिवासी लोगों को असुर कहा!इस प्रकार इसे असुरों की विजय बताई गई।बुरी तरह सीधी लड़ाई में मात खाये ब्राह्मण लोगोँ ने छल-कपट का रास्ता अपनाया।राजा बलि बहुत दानी,प्रजा हितेषी व वचनों के पक्के थे।उनके दरबार मे आये हर भिखारी को उसकी इच्छानुरूप दान-दक्षिणा देता था।वामन व उसकी टीम के ब्राह्मणों ने राजा बलि से भिखारी बनकर राज्य में रहने को जगह मांगी।राजा बलि ने रहने को जगह दे दी।कुछ दिनों बाद में ब्राह्मण वामन के नेतृत्व में भिखारी बनकर राजा बलि के दरबार मे पहुंच गए।दरबार सजा और सब अपने अपने लिए राजा से मांगते गए और राजा बलि देता गया।जब वामन की बारी आई तो बोला कि मुझे तीन चीजें चाहिए।राजा बलि ने बोला कि मांगिये देता हूँ!वचन प्राप्त होते ही वामन की धूर्तता सामने आई और तीन चीजे मांगी...
1.मैँ चाहूं वो राजगद्दी पर बैठे
2.मैँ चाहूं उसके पास धन का अधिकार हो
3.मैँ चाहूं उसको शिक्षा का अधिकार मिले
इन्हीं तीन वचनों को इन्होंने तीन कदम भूमि की कथा बनाकर प्रचारित किया।
राजा बलि वचनों के पक्के थे इसलिए वचनों से हट नहीं सकते और उन्होंने राजगद्दी छोड़ दी।राजगद्दी,धन व शिक्षा पर ब्राह्मणों ने कब्जा कर लिया।इस प्रकार कपटता से हासिल की गई सत्ता बचाने के लिए राजा बलि को महादानी बताकर जनता के बीच प्रचारित करके भावी बगावत का गला काल्पनिक रचनाओं के माध्यम से घोंटते गए।
साथ मे संलग्न महादेव, महाबली,महाज्ञानी रावण की फोटो को ध्यान से देखिए।भारत की धरा पर जो मूलनिवासी राजा हुए थे इनका रंग एक विशेष प्रकार का दिखाया जाता रहा है और इन तथाकथित देवताओं/अवतारों को एक विशेष रंग से।दोनों की वेशभूषा में बहुत फर्क है।यह सिद्ध करता है कि ये देवता/अवतार भारत भूमि की पैदाइश नहीं है।आप राजा कृष्ण का रंग देखिए वो यहां पैदा हुए थे।
यह भुला-बिसरा इतिहास सामने लाने का मेरा प्रयास किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि धन व सत्ता की लूट के लिए धर्म के नाम पर अधर्म जो परोसा गया है उसको लोग जाने।आज भी कैलाश पार्वती के सहयोग से राज्य पर कब्जा कर रहे है जैसा फराह खान व रेणुका चौधरी ने पिछले दिनों कहा था!आज भी प्रहलादों को बरगलाकर हिरण्यकश्यप के रूप में बाप की हत्या की जा रही है जैसे संवैधानिक आरक्षण को खुद आरक्षण प्राप्त करने वालों के बेटे ही गालियां दे रहे है।आज भी महाबली की तरह हमारे सक्षम लोगों को महादानी का गौरव ओढ़ाकर लूट रहे है।हर कोस पर मंदिर निर्माण परियोजना के तहत धन व भूसंपदा पर कब्जा किया जा रहा है!
लुटते रहिये!पीटते रहिये!समझ व शर्म आ जाये तो एकांत में बैठकर सोचिए कि यह सिलसिला कैसे व कब रोकने को आगे आएं!
प्रेमाराम सियाग
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