उन अभिभावकों के लिए जो मुर्गी को दबाकर अंडा निकालना चाहते है व उन बच्चों के लिए जो मां बाप की महत्वकाक्षांओं की पूर्ति करने की कोशिश में अपना जीवन जवानी की दहलीज पर आते-आते ही पूरा कर लेते है।
पिता बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता था।
बेटा इतना मेधावी नहीं था कि NEET क्लियर कर लेता।
इसलिए दलालों से MBBS की सीट खरीदने का जुगाड़ किया ।
ज़मीन, जायदाद, ज़ेवर सब गिरवी रख के 35 लाख रूपये दलालों को दिए, लेकिन अफसोस वहाँ धोखा हो गया।
अब क्या करें...?
लड़के को तो डॉक्टर बनाना है कैसे भी...!!
फिर किसी तरह विदेश में लड़के का एडमीशन कराया गया, वहाँ लड़का चल नहीं पाया।
फेल होने लगा..
डिप्रेशन में रहने लगा।
डिप्रेशन में रहने लगा।
रक्षाबंधन पर घर आया और घर में ही फांसी लगा ली।
सारे अरमान धराशायी.... रेत के महल की तरह ढह गए....
सारे अरमान धराशायी.... रेत के महल की तरह ढह गए....
20 दिन बाद माँ-बाप और बहन ने भी कीटनाशक खा कर आत्म-हत्या कर ली।
अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की झूठी महत्वाकांक्षा ने पूरा परिवार लील लिया।
माँ बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ...
माँ बाप अपने सपने, अपनी महत्वाकांक्षा अपने बच्चों से पूरी करना चाहते हैं ...
मैंने देखा कि कुछ माँ बाप अपने बच्चों को Topper बनाने के लिए इतना ज़्यादा अनर्गल दबाव डालते हैं
कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है।
कि बच्चे का स्वाभाविक विकास ही रुक जाता है।
आधुनिक स्कूली शिक्षा बच्चे की Evaluation और Gradening ऐसे करती है, जैसे सेब के बाग़ में सेब की खेती की जाती है।
पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही Syllabus पढ़ाया जा रहा है ..
पूरे देश के करोड़ों बच्चों को एक ही Syllabus पढ़ाया जा रहा है ..
For Example -
जंगल में सभी पशुओं को एकत्र कर सबका इम्तिहान लिया जा रहा है और पेड़ पर चढ़ने की क्षमता देख कर Rank निकाली जा रही है।
यह शिक्षा व्यवस्था, ये भूल जाती है कि इस प्रश्नपत्र में तो बेचारा हाथी का बच्चा फेल हो जाएगा और बन्दर First आ जाएगा।
अब पूरे जंगल में ये बात फैल गयी कि कामयाब वो है जो झट से पेड़ पर चढ़ जाए।
बाकी सबका जीवन व्यर्थ है।
इसलिए उन सब जानवरों के, जिनके बच्चे कूद के झटपट पेड़ पर न चढ़ पाए, उनके लिए कोचिंग Institute खुल गए, वहां पर बच्चों को पेड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है।
चल पड़े हाथी, जिराफ, शेर और सांड़, भैंसे और समंदर की सब मछलियाँ चल पड़ीं अपने बच्चों के साथ, Coaching institute की ओर ........
हमारा बिटवा भी पेड़ पर चढ़ेगा और हमारा नाम रोशन करेगा।
हाथी के घर लड़का हुआ .......
तो उसने उसे गोद में ले के कहा- "हमरी जिन्दगी का एक ही मक़सद है कि हमार बिटवा पेड़ पर चढ़ेगा।"
तो उसने उसे गोद में ले के कहा- "हमरी जिन्दगी का एक ही मक़सद है कि हमार बिटवा पेड़ पर चढ़ेगा।"
और जब बिटवा पेड़ पर नहीं चढ़ पाया, तो हाथी ने सपरिवार ख़ुदकुशी कर ली।
अपने बच्चे को पहचानिए।
वो क्या है, ये जानिये।
वो क्या है, ये जानिये।
हाथी है या शेर ,चीता, लकडबग्घा , जिराफ ऊँट है
या मछली , या फिर हंस , मोर या कोयल ?
क्या पता वो चींटी ही हो ?
या मछली , या फिर हंस , मोर या कोयल ?
क्या पता वो चींटी ही हो ?
और यदि चींटी है आपका बच्चा, तो हताश निराश न हों।
चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज्यादा वजन उठा सकती है।
चींटी धरती का सबसे परिश्रमी जीव है और अपने खुद के वज़न की तुलना में एक हज़ार गुना ज्यादा वजन उठा सकती है।
इसलिए अपने बच्चों की क्षमता को परखें और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें.... ना कि भेड़ चाल चलाते हुए उसे हतोत्साहित करें ......
*"क्योंकि किसी को शहनाई बजाने पर भी भारत रत्न से नवाज़ा गया है"*
उन सभी बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं जिन्होंने आज नीट 2018की परीक्षाएं दी है💐💐💐
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