वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के संदर्भ में एक माँ द्वारा 10 वीं कक्षा में अध्ययनरत अपने बेटे के नाम लिखा एक मार्मिक खत, जिसे प्रत्येक अभिभावक/अध्यापक को पढ़कर चिंतन करने की आवश्यकता है:-
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*मैं जुआ हार गई*
-बंशी सहारण
*एक माँ का खत बेटे के नाम*
*बंशी हनुमानगढ़ जिले के चाईया ग्राम की रहने वाली है।* *वर्तमान में पुलिस कान्स्टेबल पद पर किशनगढ़, जिला अजमेर में कार्यरत है।* *बंशी ने अपने बेटे जीतेश के नाम बड़ा ही मार्मिक खत लिखा है।* *हर अभिभावक को यह खत जरूर पढ़ना चाहिए।* *यह खत हमारी आंखें खोल देने और हमें अंधकार से उजाले की तरफ ले जाने में सक्षम है।*
*उनकी अनुमति से यहां शेयर कर रहा हूं।* *पसंद आए तो आप भी शेयर कर दीजिए।*
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*मैं जुआ हार गई*
-बंशी सहारण
*एक माँ का खत बेटे के नाम*
*बंशी हनुमानगढ़ जिले के चाईया ग्राम की रहने वाली है।* *वर्तमान में पुलिस कान्स्टेबल पद पर किशनगढ़, जिला अजमेर में कार्यरत है।* *बंशी ने अपने बेटे जीतेश के नाम बड़ा ही मार्मिक खत लिखा है।* *हर अभिभावक को यह खत जरूर पढ़ना चाहिए।* *यह खत हमारी आंखें खोल देने और हमें अंधकार से उजाले की तरफ ले जाने में सक्षम है।*
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