भविष्य की भूली-बिसरी प्रजाति....
देश मे हर साल घोटालों की चर्चा होती है।मीडिया के माध्यम से चोरों का एक दूसरे को चोर साबित करने का नाटक हर साल एकता कपूर के सीरियल की तरह चलता रहता है जो कभी खत्म न होने वाला नासूर बन चुका है।
नेहरू के जीप घोटाले से लेकर जीजा घोटाले तक और बंगारू लक्ष्मण की लक्ष्मण रेखा लांघकर वर्तमान बीजेपी के अध्यक्ष अमितशाह के बेटे जय शाह की शान में जयकारे लगाने वाला घोटाला हो लेकिन एक ट्रेंड देखिए इस देश मे कि हर साल किसानों की मेहनत पर लाखों करोड़ का घोटाला हो जाता है लेकिन इसे कोई घोटाला ही नहीं मानता है!
सरसों खरीद में घोटाला,मूंग खरीद में घोटाला,धान खरीद में घोटाला,टमाटर खरीद घोटाला,आलू खरीद घोटाला,लहसुन खरीद घोटाला और गन्ना उत्पादक किसानों के लिए नासूर बना मिल-मालिक-मोदी घोटाला कोई चर्चा का विषय नहीं होता!
आज हर वर्ग के लिए आवाज उठाने वाले लोग आपको हर मंच पर नजर आ जाएंगे लेकिन देश की लगभग 60%आबादी की आवाज,उनकी मेहनत की लूट,लोकतंत्र में उनके बुनियादी अधिकारों की बात करता कोई नजर नहीं आएगा!किसान कौमों के जितने भी नेता है वो यादव नेता,गुर्जर नेता,जाट नेता,पटेल नेता,मराठा नेता,लिंगायत नेता आदि बने हुए है।असल मे किसान नेता कोई नहीं है।भारत का किसान आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।किसानों के बच्चे थोड़े बहुत शिक्षित जरूर हुए है लेकिन ज्ञान की कमी हर जगह झलक रही है।कौमी एकता के नारों के बीच किसानियत मर रही है।किसान समझ रहा है कि बुरा समय है लेकिन उनके ही बच्चे फर्जी कौमी नेताओं का झोला उठाये घूम रहे है।इस हालात में बेचारा असहाय किसान कर भी क्या सकता है?अफवाहों का दौर है और इस दौर में सबसे पहले शिक्षित लोग फंसते है।शिक्षा व समझ के विभेद में आज शिक्षा समझ पर भारी पड़ रही है।
बाप समझदार है लेकिन बेटा डिजिटल इंडिया का कलाकार है।बस समझदार व कलाकार की कीमत की पहचान हो जाये तो किसान खुशहाल हो सकता है।एक रुपये में 4किलो टमाटर,60रुपये में एक क्विंटल लहसुन ही इस देश का असली घोटाला है।सड़कों पर बिखरे आलू-प्याज राजनीति की चौसर पर लुढ़ककर आते है।जो इस हालत के लिए जिम्मेदार है वो ही किसानों को मौहरा बनाकर घोटाला कर जाते है।
9हजार करोड़ रुपये विजय माल्या लेकर भाग गया,11हजार करोड़ नीरव मोदी लेकर भाग गया!ये देशभर में चर्चा का विषय बन जाता है लेकिन अकेले राजस्थान में लगभग 20हजार करोड़ का लहसुन घोटाला हो गया लेकिन इक्के-दुक्के लोग फेसबुक पर फोटो अपडेट करके दुःख जाहिर कर रहे है!यह देश के हर हिस्से में हर फसल के साथ घोटाला हो रहा है लेकिन टिकट की आस में लगे कौमी नेता सड़कों पर थोड़ा बहुत किसानों को उकसाकर फेंकवा देते है और टिकट की लाइन में खड़ा होने का प्रमाणपत्र हासिल कर लेते है।
यूपी के गन्ना किसानों के 15200 करोड़ रुपये बकाया है।बकाया का भुगतान तक नहीं करवाया जा रहा है और किसान लोग पूर्ण कर्ज माफी की उम्मीदों का बोझ देशभर में लिए भटक रहे है।मैंने बार बार यही कहा है कि किसानों की दुर्गति का कारण लुटेरे नहीं बल्कि खुद की कौमों के कौमी नेताओं के जयकारे लगाने वाले अपने शिक्षित बेटे है जो अपने बाप की फटी धोती को नकारकर कौमी नेताओं के आसरे आचमन चूमने के भ्रम में भटक रहे है।ये शिक्षित किसान पुत्र अपने बाप के पैर उखाड़कर खुद को लुटेरों की दर पर नौकरी के चक्कर मे मंगतों की श्रेणी में ले जाकर खड़ा करेंगे।
लुटेरों के देशव्यापी संगठन है,अल्पसंख्यकों के देशव्यापी संगठन है,अनुसूचित जाति व जनजाति के देशव्यापी संगठन है लेकिन किसानों के देशव्यापी नहीं हर खेत के आसपास एक संगठन है!यह संगठनों की व्यापकता व किसान नेताओं की बहुलता की मारी प्रजाति है जिसके आंगन में हर लुटेरा खेलकर सलामती के साथ लौट सकता है।
अगर किसानों की मेहनत व उनकी फसलों के घोटाले किसान पुत्र उजागर करने लग जाये तो इस देश के आपसी सामंजस्य से घोटालों के हर रोज उभरते नाटक बंद हो जाये!लुटेरे सिर्फ घोटालों के आरोपों की मंडी लगाकर खेल रहे है और असली घोटाले के पीड़ित खुद के हाथों लगाए पेड़ पर फांसी लगाकर मर रहा है।वाकई इस देश मे कर्म,मेहनत,ध्यान,चेतना की कोई कीमत नहीं है!अधर्मी लोग धर्म की आड़ में सब कुछ सेट कर रहे है।हिन्दू-मुस्लिम,जाट-राजपूत,ब्राह्मण-दलित के चुनावी मुद्दों के बीच इस देश का किसान मर रहा है।पिछले चार साल से किसानों की आवाज सॉइल हेल्थ कार्ड व फसल बीमा योजना लांच करते समय सुनी गई थी।दुबारा लाठियों के बीच इधर-उधर किसान सिर बचाकर भागते नजर आए और किसान पुत्र हिन्दू,हिन्दू,मंदिर,मंदिर,मुस्लिम,मुस्लिम करते सदैव नजर आ रहे है।
प्रेमाराम सियाग
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