सोमवार, 14 मई 2018

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 80साल पुरानी जिन्ना की तस्वीर


अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 80साल पुरानी जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए एकाएक तथाकथित राष्ट्रवादी/हिंदूवादी संगठनों को याद क्यों आई?इसके पीछे गूढ़ रहस्य है।यूपी के उपचुनावों में सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन से बुरी तरह मात खाई बीजेपी विकास के नाम पर चुनाव जीत नहीं सकती।गन्ना किसान परेशान है।कैराना के सांसद हिन्दू पलायन का राग अलापते-अलापते खुद दुनियाँ से पलायन कर गए और यह सीट रिक्त हो गई!

अब गठबंधन के प्रत्याशी के साथ खड़े जनमत का कोई तोड़ नहीं निकला तो किसानों को हिन्दू बनाकर मुस्लिमों के खिलाफ खड़ा करके चुनाव जीतने के षड्यंत्र के तौर पर जिन्ना की तस्वीर उठाकर कोहराम मचाया गया ताकि जयंत चौधरी अर्थात आरएलडी को हराया जाए।अगर लगातार उपचुनावों में बीजेपी हार गई और पश्चिमी उत्तरप्रदेश से श्री जयंत चौधरी जीत जाते है तो 2019 के पश्चिमी उत्तरप्रदेश के चुनावों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा।
असली बात तो यही है लेकिन धर्म के नाम पर जो बुद्धिजीवियों/बाबाओं की खेप आपको मीडिया में नजर आ रही है वो आपको कभी असली बात नहीं बताएगी।जब-जब चुनाव होते है तो उसके आसपास सरकारें अपने कार्यों का हिसाब देने के बजाय हिन्दू-मुस्लिम व पाकिस्तान का राग अलापकर आपको भ्रमित करने का प्रयास करती है।बुनियादी मुद्दे कर्नाटक में भी गौण है राष्ट्रीय मीडिया में लेकिन दक्षिण का मीडिया अभी भी जिंदा होने का सबूत दे रहा है।
प्रेमाराम सियाग

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