श्री श्री विपुलदेवजी महाराज कह रहे है कि महाभारत काल मे संजय सेटेलाइट के जरिये लाइव टेलीकास्ट दे रहा था मतलब इंटरनेट की खोज उस समय भारत मे हो गई थी!श्री श्री विजय रूपानी जी कह रहे है कि गूगल पर तो सर्च करना पड़ता है लेकिन नारद मुनि गूगल से भी विकसित गुरु थे जो मुफ्त में घर-घर दुनिया की जानकारी पहुंचाते थे!मंत्री श्री श्री 420 आचार्य त्रिवेदीजी कह रहे है कि ब्राह्मणों के पास इतनी ताकत थी कि ग्वाले को उठाकर भी भगवान बना देते थे!ब्राह्मणों के पास चंदा/दान देने वालों को भगवान घोषित करने की ताकत तो थी लेकिन इस देश की जनता को भुखमरी से नहीं बचा सकी, गुलामी से नहीं बचा सकी।आज देश के जो भी हालात है वो हजारों सालों से चली आ रही ब्राह्मणवादी व्यवस्था का परिणाम है।इन लोगों को चुना तो भविष्य बेहतर करने के लिए लेकिन ये लोग इतिहास बेहतर बताने में लग गए।
गरीबी में नंबर वन,बेरोजगारी में नंबर वन,भिखमंगों में नंबर वन,जातीय भेदभाव में नंबर वन इस देश में क्वालिटी मेन्टेन करने वाले तथाकथित मेरिटधारियों का क्या योगदान है?
जब इस देश में जातीय व्यवस्था नहीं थी तब हमने शून्य की खोज कर ली थी।0-9 की न्यूमेरिक हमने दुनिया को दे दी थी।फिर ये तथाकथित मेरिटधारी गुणवत्ता सुधारने आये और एकाएक खोजों पर ब्रेक कैसे लग गया!इन मेरिटधारियों ने कौन-कौन सी खोजें की जो दुनियां की बेहतरी के लिए काम आ रही है?याद नहीं आ रही है न!मैं बताता हूँ ध्यान से पढ़ो....
1.पुष्पक विमान से हवाई यात्रा होती थी
2.देवता चूहों व् सांपों पर बैठकर दुनियां भ्रमण करते थे
3.वानर पर्वत लेकर उड़ते थे
4.वानर का छोटा बच्चा सूर्य को निगल रहा था
5.ब्रह्मास्त्र दुश्मन को मारकर वापिस आकर टोकरी में पड़ता
6.IVF तकनीक ऐसी की घूरकर देख लेने मात्र से औरतें गर्भवती हो जाती थी
7.मछलियां मनुष्य पैदा कर रही थी
8.शल्य चिकित्सा इतनी उत्कर्ष कि इंसानों की देह पर हाथी के सिर सेट कर देते थे
9.परीक्षाएं कागज-कलम के बजाय अग्नि से होती थी
10.महागुणी-महाज्ञानी पढ़कर नहीं बनते बल्कि सीधे पैदा होते थे
11.यज्ञों से क्षेत्रीय पैदा कर देते थे
12.नाम लिखने मात्र से पत्थर पानी पर तैर जाते थे।
13.दिव्य दृष्टि से महाभारत का लाइव टेलीकास्ट होता था।
ये तो सिर्फ इनके कुछ उदाहरण मात्र है।खोजे तो इनकी अनन्त है और अभी भी जारी है।श्राद्ध में ये खाना खुद खाकर मृत आत्माओं को भेज देते है!आपने दुनियां में ऐसी कोई डाक व्यवस्था देखी है?फिर एकाएक यह आरक्षण रूपी दानव आया और इनकी खोजे बड़े स्तर पर प्रभावित हुई।यह बात जरूर है कि इनकी खोजे मुट्ठी भर लोगों के लिए बिना कमाएं ही खाने का इंतजाम कर गई लेकिन जनता की खुशहाली के लिए कुछ काम नहीं आई।
अब ये क्वालिटी मेन्टेन करने वाले मेरिटधारी लोग स्कालरशिप ख़त्म करने की बात कर रहे है।सीटें कम करने की बात कर रहे है।विश्वविद्यालयों में बोली पर लगाम लगाना चाह रहे है।अब आप सोचो कि लोकतंत्र बोली से चलेगा या गोली से?आज हमारे जीवन में उपलब्ध हर भौतिक सुविधा के साधनों की खोज यूरोप-अमेरिका में हुई।इनकी खोजे हमारे कहाँ काम आ रही है?कदम-कदम पर ये लोग अन्याय व् अत्याचार करते है।कदम-कदम पर ऊंच-नीच की गाथाएं गा रहे है।आज देश में सबसे ज्यादा दुखी लोग विंध्य-सतपुड़ा के क्षेत्र में रहने वाले लोग है।उनके नीचे अरबों का खजाना है लेकिन ऊपर लाठी-बंदूकों से आक्रमण हो रहा है।उन आदिवासियों को आरक्षण देने पर इन लोगों को आपत्ति है।उन लोगों को जे एन यू में ग्रांट मिले तो बताते है कि नक्सली पैदा हो रहे है।अगर तुम्हारे अन्याय व् अत्याचारों से दुखी होकर कोई रोहित वेमुला या अमित चौधरी यह कहकर आत्महत्या कर ले कि मेरा पैदा होना ही गुनाह है तो तुम्हारी इन खोजों को क्यों न आग के हवाले कर दिया जाये!तुम्हारी ये खोजे हर घड़ी,हर कदम पर अन्याय करती है,अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांक लेते?
वक्त का तकाजा है कि वैज्ञानिकता के आधार पर आगे बढ़ा जाये।तर्कों के आधार पर पूरे देश में चर्चाएं हो,संगोष्ठियां हो,वाद-विवाद हो ताकि लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा हो,संविधान मजबूत हो!संविधान व् आरक्षण की खिल्ली उड़ाने लोगों को हर मंच से पूछो कि सदियों तक तुम मेरिटधारियों ने इस देश,इस समाज को क्या दिया है?ये मुट्ठी भर लोग इतने शातिर किस्म के होते है कि कुछ पोस्टों के लिए भर्ती एक पद की निकालेंगे!ले लो आरक्षण!अब एक आदमी को फाड़कर तो आरक्षण ले नहीं पाएंगे!जितनी भी बड़ी पोस्ट है वहां पर एक एक करके पद भरे जाते है।उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पदों से आरक्षण ख़त्म करने के नोटिफिकेशन जारी कर रहे है।अब ये लोग गुरुकुल बनाकर द्रोणाचार्य से एकलव्य का अंगूठा लेने की फिर से कोशिश में है।इसलिए इनकी चुपड़ी बातों में आने के बजाय संविधान व् विज्ञानं से चिपक जाओ।इन शंभूनाथ की रामनवमी की शोभायात्रा में झांकी सजाने वालों के चक्कर मे फंसने के बजाय शिक्षा की अलख जगाओ।नहीं तो अत्याचारों से त्रस्त लोगों को यही कहकर मरना पड़ेगा कि मेरा जन्म ही मेरा गुनाह है!
जब इस देश में जातीय व्यवस्था नहीं थी तब हमने शून्य की खोज कर ली थी।0-9 की न्यूमेरिक हमने दुनिया को दे दी थी।फिर ये तथाकथित मेरिटधारी गुणवत्ता सुधारने आये और एकाएक खोजों पर ब्रेक कैसे लग गया!इन मेरिटधारियों ने कौन-कौन सी खोजें की जो दुनियां की बेहतरी के लिए काम आ रही है?याद नहीं आ रही है न!मैं बताता हूँ ध्यान से पढ़ो....
1.पुष्पक विमान से हवाई यात्रा होती थी
2.देवता चूहों व् सांपों पर बैठकर दुनियां भ्रमण करते थे
3.वानर पर्वत लेकर उड़ते थे
4.वानर का छोटा बच्चा सूर्य को निगल रहा था
5.ब्रह्मास्त्र दुश्मन को मारकर वापिस आकर टोकरी में पड़ता
6.IVF तकनीक ऐसी की घूरकर देख लेने मात्र से औरतें गर्भवती हो जाती थी
7.मछलियां मनुष्य पैदा कर रही थी
8.शल्य चिकित्सा इतनी उत्कर्ष कि इंसानों की देह पर हाथी के सिर सेट कर देते थे
9.परीक्षाएं कागज-कलम के बजाय अग्नि से होती थी
10.महागुणी-महाज्ञानी पढ़कर नहीं बनते बल्कि सीधे पैदा होते थे
11.यज्ञों से क्षेत्रीय पैदा कर देते थे
12.नाम लिखने मात्र से पत्थर पानी पर तैर जाते थे।
13.दिव्य दृष्टि से महाभारत का लाइव टेलीकास्ट होता था।
ये तो सिर्फ इनके कुछ उदाहरण मात्र है।खोजे तो इनकी अनन्त है और अभी भी जारी है।श्राद्ध में ये खाना खुद खाकर मृत आत्माओं को भेज देते है!आपने दुनियां में ऐसी कोई डाक व्यवस्था देखी है?फिर एकाएक यह आरक्षण रूपी दानव आया और इनकी खोजे बड़े स्तर पर प्रभावित हुई।यह बात जरूर है कि इनकी खोजे मुट्ठी भर लोगों के लिए बिना कमाएं ही खाने का इंतजाम कर गई लेकिन जनता की खुशहाली के लिए कुछ काम नहीं आई।
अब ये क्वालिटी मेन्टेन करने वाले मेरिटधारी लोग स्कालरशिप ख़त्म करने की बात कर रहे है।सीटें कम करने की बात कर रहे है।विश्वविद्यालयों में बोली पर लगाम लगाना चाह रहे है।अब आप सोचो कि लोकतंत्र बोली से चलेगा या गोली से?आज हमारे जीवन में उपलब्ध हर भौतिक सुविधा के साधनों की खोज यूरोप-अमेरिका में हुई।इनकी खोजे हमारे कहाँ काम आ रही है?कदम-कदम पर ये लोग अन्याय व् अत्याचार करते है।कदम-कदम पर ऊंच-नीच की गाथाएं गा रहे है।आज देश में सबसे ज्यादा दुखी लोग विंध्य-सतपुड़ा के क्षेत्र में रहने वाले लोग है।उनके नीचे अरबों का खजाना है लेकिन ऊपर लाठी-बंदूकों से आक्रमण हो रहा है।उन आदिवासियों को आरक्षण देने पर इन लोगों को आपत्ति है।उन लोगों को जे एन यू में ग्रांट मिले तो बताते है कि नक्सली पैदा हो रहे है।अगर तुम्हारे अन्याय व् अत्याचारों से दुखी होकर कोई रोहित वेमुला या अमित चौधरी यह कहकर आत्महत्या कर ले कि मेरा पैदा होना ही गुनाह है तो तुम्हारी इन खोजों को क्यों न आग के हवाले कर दिया जाये!तुम्हारी ये खोजे हर घड़ी,हर कदम पर अन्याय करती है,अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांक लेते?
वक्त का तकाजा है कि वैज्ञानिकता के आधार पर आगे बढ़ा जाये।तर्कों के आधार पर पूरे देश में चर्चाएं हो,संगोष्ठियां हो,वाद-विवाद हो ताकि लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा हो,संविधान मजबूत हो!संविधान व् आरक्षण की खिल्ली उड़ाने लोगों को हर मंच से पूछो कि सदियों तक तुम मेरिटधारियों ने इस देश,इस समाज को क्या दिया है?ये मुट्ठी भर लोग इतने शातिर किस्म के होते है कि कुछ पोस्टों के लिए भर्ती एक पद की निकालेंगे!ले लो आरक्षण!अब एक आदमी को फाड़कर तो आरक्षण ले नहीं पाएंगे!जितनी भी बड़ी पोस्ट है वहां पर एक एक करके पद भरे जाते है।उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पदों से आरक्षण ख़त्म करने के नोटिफिकेशन जारी कर रहे है।अब ये लोग गुरुकुल बनाकर द्रोणाचार्य से एकलव्य का अंगूठा लेने की फिर से कोशिश में है।इसलिए इनकी चुपड़ी बातों में आने के बजाय संविधान व् विज्ञानं से चिपक जाओ।इन शंभूनाथ की रामनवमी की शोभायात्रा में झांकी सजाने वालों के चक्कर मे फंसने के बजाय शिक्षा की अलख जगाओ।नहीं तो अत्याचारों से त्रस्त लोगों को यही कहकर मरना पड़ेगा कि मेरा जन्म ही मेरा गुनाह है!
देखिए देश की तकदीर अब वैज्ञानिक,शिक्षक,रक्षा विशेषज्ञ,किसान,जवान नहीं बल्कि जेएनयू से निकले मंत्र विशेषज्ञ बदलेंगे!
प्रेमाराम सियाग
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