लाहौर ,पाकिस्तान में शहीद भगतसिंह गेट बनकर तैयार हो गया।1947से पहले आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी दोनों देशों की साझा विरासत है।आजादी के परवानो को सम्मान देना हर किसी के बूते की बात नहीं है।
आज दो खबरे साथ मिली।दुसरीं खबर राणा प्रताप की थी।दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास राणा प्रताप की मूर्ति का अनावरण किया गया व साथ मे चरमपंथी संगठन बजरंग दल ने अकबर रोड़ के दिशा सूचक पर राणा प्रताप रोड़ का लेबल चिपका दिया।
यह देश आजादी के क्रांतिकारी लोगों को सम्मान नहीं दे पाया लेकिन सदियों पुराने आधे-अधूरे सच रजवाड़ों के गड़े मुर्दे उखाड़कर सड़कों पर उत्पात मचा रहे है!
भगतसिंह,सुखदेव, राजगुरु के खिलाफ हिन्दू महासभा के लोगों ने गवाही दी व यह भी सच है कि जिन्ना जैसे वकील इनके मुकदमे की पैरवी कर रहे थे!
इतिहास के गड्डों में जाकर नफरत का कीचड़ उछाला जायेगा तो हर किसी के दामन में दाग लगेंगे।जो झूठे व मक्कार होते है वो शोर-शराबा ज्यादा करते है ताकि उनके झूठ पर पर्दानवीसी हो सके!
जनाब मुन्नवर राणा ने कहा था "खुद को समेटने के चक्कर मे मैँ खुलता गया......"प्रेमाराम सियाग
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