भारत मे मजदूर होना गुनाह है।भारत मे सबसे ज्यादा रोजगार असंगठित क्षेत्र में है।इसमें पुरुष की तुलना में महिला को तकरीबन 70%दिहाड़ी व बच्चों को आधी दिहाड़ी मिलती है।यह भी सच है कि असंगठित क्षेत्र में लगे मजदूरों में आधी से ज्यादा संख्या महिला व बच्चों की है।आज महिला दिवस पर मोमबत्ती मार्च निकालने वाली मोटी बिंदी गैंग भी मजदूर दिवस की बधाई दे रही है व बचपन बचाओ आंदोलन वाले भी बधाइयां दे रहे थे!मजे की बात यह है कि जिनके महल मजदूरों के शोषण पर खड़े थे,जिनकी कुर्सियां मजदूरों के सपनों के पंखों को बांसुरी बजाकर सजी है वो भी आज बधाइयां दे रहे थे!
अजीब हालात है।मजदूरों को लूटने व शोषण करने वाले भी बधाइयां दे रहे थे और मजदूर खुद एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे थे!मजदूरों में क्राँति का बीजारोपण करने वाला कोई सामने नहीं आया।लुटेरे लूटने के बाद उत्सव मना रहे थे और मजदूर लुटकर उत्सव मना रहे थे।उत्सवों के भूखे देश मे हर कोई मूल मुद्दे को हवा-हवाई करके मनोरंजन/खुशी ढूंढ रहा था।
प्रेमाराम सियाग
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