झूठे डर की जड़ता में.......
एक महान राजा हुआ करता था।उसको एक दिन सबसे महंगी व् अनूठी ड्रेस पहनने की इच्छा हुई।उसने सभी मंत्रियों को आदेश दिया कि ऐसी ड्रेस की व्यवस्था की जाए कि जो आजतक किसी ने इस लोक में पहनी नहीं हो!सबने अपने अपने हिसाब से प्रयास करने शुरू कर दिए।कहीं कोई ऐसा कपडा व् दर्जी नहीं मिला कि इस तरह की मांग पूरी हो सके।अंत में एक फ़क़ीर ने ऐसी ड्रेस लाने की बात कही तो उसे राज दरबार में पेश किया गया।फ़क़ीर ने कुल मिलाकर दस हजार रूपए खर्च बताया।उसने बताया कि ऐसी ड्रेस परलोक से लानी पड़ेगी।मैं चमत्कार से वहां जाऊंगा और ले आऊंगा।राजा ने पैसे दिए और पंद्रह दिन का समय दिया गया।फ़क़ीर दस हजार रूपए लेकर गायब हो गया।दरबारियों ने सोचा कि अब फ़क़ीर वापिस नहीं आएगा!
फ़क़ीर ठीक पंद्रहवे दिन वापिस हाजिर हो गया लेकिन खाली हाथ था।राजा ने कारण पूछा तो फ़क़ीर ने बताया कि इस लोक के भ्रष्टाचार की गंध वहां भी पहुँच चुकी है।देवता लोग भी रिश्वत मांगने लग गए।उन्होंने पांच हजार रूपए रिश्वत मांगी है।अब राजा की धुन थी अनूठी ड्रेस पहनने की तो उन्होंने यह सोचकर पांच हजार रुपये दे दिए कि यहाँ भी बिना पैसे के काम नहीं होता तो शायद वहां भी ऐसा चलता होगा।फ़क़ीर पैसे लेकर फिर चला गया।दरबारियों को लगा कि अबकी बार फ़क़ीर नहीं आएगा!ठीक पंद्रहवे दिन फ़क़ीर हाथ में पेटी लेकर दरबार में आ गया।उसने कहा कि मैं मेरे हाथ से आपको ड्रेस पहनाऊंगा।यह परलोक की पवित्र ड्रेस है।जो किसी और की अवैध संतान होगा उसको यह ड्रेस दिखाई नहीं देगी।सारे चुप हो गए और ख़ामोशी के साथ नजर गड़ाएं देख रहे थे।राजा ने पहले वाला कोट उतारा और फ़क़ीर पेटी से निकालकर कोट पहनाने की मुद्रा करके बोला वाकई क्या कोट जंच रहा है आप पर!राजा को भी दिखाई नहीं दिया लेकिन मना कैसे कर दे?नहीं दिखने पर अवैध संतान का तमगा लग जायेगा।भय के मारे चुपचाप हाँ में हाँ मिला ली!इसी डर के मारे सारे मंत्री व् दरबारियों ने भी सराह दिया कि बहुत अच्छा कोट है।इस तरह राजा को नंगा करके दूसरे सारे कपडे पहनाने का कार्यक्रम पूरा कर दिया गया।
यह खबर पुरे शहर में फैला दी गई कि राजा साहब ने परलोक से पवित्र ड्रेस मंगाकर पहन ली है और जो अपने बाप की नहीं बल्कि अवैध बाप की औलाद है उसको दिखती नहीं है।पुरे शहर में राजा को हाथी पर बैठाकर जुलुस निकाला गया।किसी को भी ड्रेस नहीं दिख रही लेकिन सब लोग प्रशंसा कर रहे है कि ड्रेस बहुत सुंदर है।कुछ बच्चे चिल्ला रहे है कि राजा साहब नंगे है लेकिन बाप अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में मुंह दबा रहे है।यही हाल मंदिरों,मस्जिदों,गिरिजाघरों का है!सबको पता है कि यहाँ सिर्फ पत्थर इकट्ठे किये हुए है,कुछ लोगों का रोजगार-व्यवसाय चल रहा है!धर्म के नाम पर लूटने का गौरख-धंधा चल रहा है।लेकिन सच बोले कौन!अवैध बाप की औलाद घोषित होने का खतरा जो है!बच्चे बोलने की कोशिश जरूर कर रहे है लेकिन बाप मुंह दबा देते है!
प्रेमाराम सियाग
एक महान राजा हुआ करता था।उसको एक दिन सबसे महंगी व् अनूठी ड्रेस पहनने की इच्छा हुई।उसने सभी मंत्रियों को आदेश दिया कि ऐसी ड्रेस की व्यवस्था की जाए कि जो आजतक किसी ने इस लोक में पहनी नहीं हो!सबने अपने अपने हिसाब से प्रयास करने शुरू कर दिए।कहीं कोई ऐसा कपडा व् दर्जी नहीं मिला कि इस तरह की मांग पूरी हो सके।अंत में एक फ़क़ीर ने ऐसी ड्रेस लाने की बात कही तो उसे राज दरबार में पेश किया गया।फ़क़ीर ने कुल मिलाकर दस हजार रूपए खर्च बताया।उसने बताया कि ऐसी ड्रेस परलोक से लानी पड़ेगी।मैं चमत्कार से वहां जाऊंगा और ले आऊंगा।राजा ने पैसे दिए और पंद्रह दिन का समय दिया गया।फ़क़ीर दस हजार रूपए लेकर गायब हो गया।दरबारियों ने सोचा कि अब फ़क़ीर वापिस नहीं आएगा!
फ़क़ीर ठीक पंद्रहवे दिन वापिस हाजिर हो गया लेकिन खाली हाथ था।राजा ने कारण पूछा तो फ़क़ीर ने बताया कि इस लोक के भ्रष्टाचार की गंध वहां भी पहुँच चुकी है।देवता लोग भी रिश्वत मांगने लग गए।उन्होंने पांच हजार रूपए रिश्वत मांगी है।अब राजा की धुन थी अनूठी ड्रेस पहनने की तो उन्होंने यह सोचकर पांच हजार रुपये दे दिए कि यहाँ भी बिना पैसे के काम नहीं होता तो शायद वहां भी ऐसा चलता होगा।फ़क़ीर पैसे लेकर फिर चला गया।दरबारियों को लगा कि अबकी बार फ़क़ीर नहीं आएगा!ठीक पंद्रहवे दिन फ़क़ीर हाथ में पेटी लेकर दरबार में आ गया।उसने कहा कि मैं मेरे हाथ से आपको ड्रेस पहनाऊंगा।यह परलोक की पवित्र ड्रेस है।जो किसी और की अवैध संतान होगा उसको यह ड्रेस दिखाई नहीं देगी।सारे चुप हो गए और ख़ामोशी के साथ नजर गड़ाएं देख रहे थे।राजा ने पहले वाला कोट उतारा और फ़क़ीर पेटी से निकालकर कोट पहनाने की मुद्रा करके बोला वाकई क्या कोट जंच रहा है आप पर!राजा को भी दिखाई नहीं दिया लेकिन मना कैसे कर दे?नहीं दिखने पर अवैध संतान का तमगा लग जायेगा।भय के मारे चुपचाप हाँ में हाँ मिला ली!इसी डर के मारे सारे मंत्री व् दरबारियों ने भी सराह दिया कि बहुत अच्छा कोट है।इस तरह राजा को नंगा करके दूसरे सारे कपडे पहनाने का कार्यक्रम पूरा कर दिया गया।
यह खबर पुरे शहर में फैला दी गई कि राजा साहब ने परलोक से पवित्र ड्रेस मंगाकर पहन ली है और जो अपने बाप की नहीं बल्कि अवैध बाप की औलाद है उसको दिखती नहीं है।पुरे शहर में राजा को हाथी पर बैठाकर जुलुस निकाला गया।किसी को भी ड्रेस नहीं दिख रही लेकिन सब लोग प्रशंसा कर रहे है कि ड्रेस बहुत सुंदर है।कुछ बच्चे चिल्ला रहे है कि राजा साहब नंगे है लेकिन बाप अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में मुंह दबा रहे है।यही हाल मंदिरों,मस्जिदों,गिरिजाघरों का है!सबको पता है कि यहाँ सिर्फ पत्थर इकट्ठे किये हुए है,कुछ लोगों का रोजगार-व्यवसाय चल रहा है!धर्म के नाम पर लूटने का गौरख-धंधा चल रहा है।लेकिन सच बोले कौन!अवैध बाप की औलाद घोषित होने का खतरा जो है!बच्चे बोलने की कोशिश जरूर कर रहे है लेकिन बाप मुंह दबा देते है!
प्रेमाराम सियाग
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