शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

जाटों और दलितों के के उच्च पदों पर काबिज होने से क्यों बौखलाता है मीडिया

जाटों और दलितों के  के उच्च पदों पर काबिज होने से क्यों बौखलाता है मीडिया.......                                                                                                                                                                                                            26 जुलाई कोराजस्थान सरकार ने चुनावों के मद्देनजर  आईपीएस ऑफिसर्स की ट्रांसफर सूची जारी की इसमें कुल 34 मेंसे 13  जाट ,7 -8  ब्राह्मण,7 -8   जैन और अन्य जातियों के अफसर भी हैं फिर भी जाट और दलित से मीडिया इतना क्यों जलता है आइए इसी तबादला सूची पर फ्रस्ट इण्डिया न्यूज़ की बौखलाहट देखते हैं इस चैनल ने यह लिखा                                                                                                                             

आईपीएस तबादला सूची का पोस्टमार्टम !

 जयपुर: आईपीएस तबादला सूची का पोस्टमार्टम !, गृह विभाग ने पुलिस में की जबरदस्त 'सोशल इंजीनियरिंग', जाट समुदाय के अफसरों की हुई बल्ले-बल्ले, 14 जिलों में लगे जाट एसपी, विधानसभा चुनाव के मौके पर बढ़ी जाट अफसरों की हिस्सेदारी, जयपुर ग्रामीण-अलवर-दौसा-डीसीपी नॉर्थ-धौलपुर-सवाईमाधोपुर, कोटा-ग्रामीण-बारां-बीकानेर और चित्तौड़ जैसे जिलों में लगे जाट एसपी, दूसरी ओर राजपूत समुदाय से केवल दो अफसर बने एसपी, करौली और भरतपुर जिलों में लगे राजपूत एसपी, वैसे चुनाव के मौके पर ये नहीं है कोई नई बात,http://firstindianews.com/news/BTN-RJ-BREAKING-5108-27JULY-KS-CONTROL-SM-MUST-BIG-FULL-SCREEN-358431860  यह लिंक आप खुद देख लीजिए जरा                                                                                                                                                   सोचिए मीडिया की जाटों और दलितों के प्रति यह जलन अथवा बौखलाहट कब से  है  इस बौखलाहट की शुरुआत आज नहीं हुई है यह सदियों पुरानी बौखलाहट है जाटों और दलितों  में बढ़ती जागरूकता और ब्राह्मणबाद के उखड़ती जड़ों से यह मीडिया बेहद चिंतित है अब आइए आपको दिखाते  हैं देश पर असल में कव्जा किसका है, आरक्षण को खैरात कहने वालों का खैरात के घरों यानि मदिरों और मठों पर एकाधिकार है फिर भी यह मीडिया इस एकाधिकार की बात नहीं करता क्योंकि इन्हे डर शता रहा है यह मीडिया के जरिए भोले भाले obc  और sc -st को गुमराह करके  सच को छिपा लेते हैं और झूठ परोसते रहते हैं अब यह लिस्ट देखिए कब्ज़ा किसका है...                                                                                                                                 जिस तरह कहीं आतंकवाद पलता है ठीक उसी तरह भारत में ब्राह्मणवाद पल रहा है "आइऐ देखते हैं....                                                           जिस तरह कहीं आतंकवाद पलता है ठीक उसी तरह भारत में ब्राह्मणवाद पल रहा है "आइऐ देखते हैं 
SC"ST"OBC के लोगो के अधिकारो रोजी-रोटी नोकरियो के उपर ब्राह्मणो का कहर " 
No 1' राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद 49' है जिसमे '45 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 
" No2 उप राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद 7' जिसमे 7 ही ब्राह्मण "SC00''ST00" BC 00 
"No3 मंत्रियो के कैबिनेट सचिव कुल पद 20 ' जिसमे 19 ब्राह्मण "SC'ST 1 "OBC 00 " 
No4 प्रधानमंत्री कार्यालय मे कुल पद 35 जिसमे 33 ब्राह्मण "SC'ST 2 "OBC 00 
" No 5 कृषि एवं सिचंन विभाग मे कुल पद 274 " जिसमे 259 ब्राह्मण "SC'ST 15" OBC 00" 
No 6 रक्षा मंत्रालय मे कुल पद है 1379 जिसमे 1331 ब्राह्मण" SC'ST 48 "OBC 00 है " 
No 7 समाज कल्याण एवं हैल्थ मंत्रालय कुल पद 209 जिनमे 192 ब्राह्मण "SC'ST 17 "OBC 00 है 
No 8 वित्त मंत्रालय मे कुल पद है 1008 " जिसमे 942 ब्राह्मण "SC'ST 66 " OBC 00 है 
No 9 ग्रह मंत्रालय मे कुल पद है 409 जिसमें 377 ब्राह्मण " SC'ST 19" OBC 13 है 
No 10 श्रम मंत्रालय मे कुल पद है 74 जिसमे 70 ब्राह्मण "SC'ST 4" OBC 00 है 
No 11 रसायन एवं पेट्रोलियम मंत्रालय मे कुल पद है 121 जिसमे 112 ब्राह्मण " SC'ST 9" OBC 00 है 
No 12 राज्यपाल एवं उपराज्यपाल कुल पद है 27 जिसमे 25 ब्राह्मण SC'ST 00" OBC 2 
No 13 विदेश मे राजदूत 140 जिसमे 140 ही ब्राह्मण है "SC'ST 00 " OBC 00 है 
No 14 विश्वविद्यालय के कुलपति पद 108 जिसमे 108 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है 
No 15 प्रधान सचिव के पद है 26 जिसमे 26 ही ब्राह्मण है " SC'ST 00" OBC 00 है 
No 16 हाइकोर्ट के न्यायाधीश है 330 जिसमे 326 ब्राह्मण " SC'ST 4" OBC 00 है 
No 17 सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 23 जिसमे 23 ही ब्राह्मण " SC'ST 00" OBC 00 है 
No 18 IAS अधिकारी 3600 जिसमे 2950 ब्राह्मण " SC'ST 600 " OBC 50 है 
No 19 "PTI कुल पद 2700 जिसमे 2600 ब्राह्मण " SC'ST 00" OBC 00 है 
"No 20 शंकराचार्य कुल 05 जिसमे 05 ही ब्राह्मण है" SC'ST 00 OBC 00 है ।                                          dainik jan uday khabar                                                                                                         यह उत्तरप्रदेश की पूरी खबर नेशनल जनमत की पूरी पड़ताल यहां सम्पूर्ण सिस्टम पर ब्राह्मणवाद का कब्जा है आप इस लिंक से पूरी खबर पढ़ सकते हैं..... 

जातिवाद: UP के नौकरशाहों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की जिम्मेदारी सिर्फ ब्राह्मण ऑफीसर्स के हवाले !                                                                                      जातिवाद: UP के नौकरशाहों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की जिम्मेदारी सिर्फ ब्राह्मण ऑफीसर्स के हवाले !                                                                                                      अब आइए अब जाट दलित बनाम मीडिया  और जाट गैर जाट की साजिश को समझने की कोशिश करते हैं यह जाट बनाम मीडिया  और जाट बनाम गैर जाट के विषय पर लिखा गया है लेकिन यह ब्राह्मणवादी मीडिया जाटों और दलितों से समान रूप से एक जैसा व्यवहार करता है  हाँ यह जाटों और दलितों को आपस में लड़ाने  का कोई मौका नहीं छोड़ता है आपको यह लेख पढ़ने के बाद समझ आ जाएगा कि जाटों और दलितों के साथ जो हो रहा  के क्या कारण  है तो ले पढ़िए। ...                                                                                                                                                                                                                                     जाट बनाम मीडिया


मीडिया प्रचार का सशक्त माध्यम रहा है चाहे कोई भी समय या काल हो समय के साथ-साथ इसका स्वरूप भी बदल रहा है । प्राचीन में चारण, भाट और जोगी आदि मीडिया के तीन सशक्त स्तम्भ थे । इसके अतिरिक्त स्थानीय जागे होते थे जो अपनी पोथियों में अपनी शैली अनुसार विभिन्न जातियों व गौत्रों की वंशावलियां दर्ज करते थे । भाटों की पोथियों का तो अभी तक उल्लेख किया जाता है । इनका लिखने और दर्ज करने का तरीका अपनी मर्जी और मनमानी हुआ करता था और ये लोग उसी की प्रशंसा किया करते थे जो इन्हें बदले में भेंट देता था । इसी कारण यह कहावत प्रचलित हुई कि जिसकी खावै बाकली उसके गावै गीत अर्थात् जैसा जो इन्हें देता था उसके लिए वैसा ही ये लिखते थे और गाते थे । 

जब सातवीं सदी के अंत में माऊंट आबू पर्वत पर ‘बृहत् यज्ञ’ में अग्निकुण्ड से राजपूत जाति की उत्पत्ति की घोषणा की तो ब्राह्मणवाद ने इसे क्षत्रिय जाति स्थापित करने के लिए इसका धुआंधार प्रचार किया और इसकी जिम्मेवारी ब्राह्मणी मीडिया ने ली । इसी को इस मीडिया ने अपनी लेखनी का साधन बनाया जिसे चारण और भाटों ने घूम-घूमकर गाया । जबकि यही मीडिया पहले प्रचार करता रहा कि परशुराम ने क्षत्रियों का सर्वनाश कर दिया था और इसी गुणगान के साथ ब्राह्मणवादी लोग राजपूत राजाओं के पुरोहित बन गए जबकि इस जाति का उल्लेख किसी भी प्राचीन ग्रंथ में नहीं है । इन लोगों ने राजपूत राजाओं के पुरोहित होकर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इन्हें आपस में इतना लड़ाया कि वे कभी भी मुगलों के विरोध

में कोई भी बड़ी लड़ाई नहीं जीत पाए और न ही अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ पाए लेकिन फिर भी इन्होंने हल्दी घाटी जैसी छोटी लड़ाई को भी, जिसमें केवल महाराणा प्रताप के 59 सैनिक मारे गए थे तथा यह लड़ाई केवल ढाई घण्टे चली थी, जो भी हो इन्होंने राजपूत जाति की वीरता का धुआंधार प्रचार किया क्योंकि राजपूत राजा इन्हें एक दूसरे से बढ़कर दान दक्षिणा दिया करते थे जबकि जाटों में इस प्रकार के इतिहास लिखवाने की कोई भावना नहीं थी । इसी का उदाहरण है कि महाराजा सूरजमल तथा महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों को पीट-पीटकर अपनी रियासतों की स्थापना की जो अधिकतर राजपूत रियासतों से बड़ी रियासतें थी और इन्होंने अपने जीवन में कभी कोई लड़ाई नहीं हारी । इसी कारण इन महान राजाओं का नाम भारतीय इतिहास से गायब है । इसका मुख्य कारण जाटों का स्वभाव था कि वे खिला-पिलाकर इतिहास लिखवाने में विश्वास नहीं रखता था क्योंकि उनका विश्वास था कि वे इतिहास बनाते हैं, लिखवाते नहीं जब आधुनिक युग आया तो राजपूतों की अधिकतर रियासतें कमजोर पड़ चुकी थी या समाप्त हो चुकी थी जिस कारण ये पुरोहितवाद और ब्राह्मणवाद ढीला पड़ने लगे तो इन्होंने इस युग में समाचार पत्र-पत्रिकाओं का सहारा लिया जो मीडिया के स्तम्भ बने । जो जातियां पहले से ही शिक्षित थी जैसे कि कायस्थ, अरोड़ा खत्री आदि उनको भी इन्होंने अपने साथ लगा लिया और समय आते-आते यह इनका पेशा बन गया । जब एक पेशा हो गया तो आपस में भाईचारा भी होना था । इस प्रकार इन जातियों ने इस मीडिया पर अपना पूर्ण प्रभुत्व कर लिया सन् 1980 के बाद टी.वी. मीडिया अर्थात् इलैक्ट्रोनिक भी जुड़ गया जो समाचार पत्र पत्रिकाओं से भी अधिक प्रभावशाली सिद्ध हुआ । इसके स्वामी भी लगभग उसी वर्ग से हैं जो समाचार पत्र-पत्रिकाओं से हैं । इनकी आय का सबसे बड़ा साधन सरकारी विज्ञापन और निजी कम्पनियों के विज्ञापन हैं । वर्तमान में समाचार पत्रों अर्थात् मीडिया का पूर्णतया व्यवसायीकरण हो चुका है । ये लोग वही माल परोसते हैं जिसमें इनको पैसा मिलता है।

जैसा रवैया ब्राह्मणवाद ने जाटों के विरोध में अपनाया था वही विरोध समाचार पत्र पत्रिकाओं में भी जारी रहा और उसी परम्परा को इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने भी आगे बढ़ाया है और इसका उदाहरण हमने अभी हरियाणा के जाट आंदोलन में देखा है जब इन ब्राह्मणी मीडिया ने जाटों के विरुद्ध इतना झूठा प्रचार किया की जाटों को विलेन बना दिया                                                                                                                                                              जाट बनाम नॉन जाट

जाट बनाम नॉन जाट , किसान कौम के लिए एक षड़यंत्र है। ये फार्मूला मंडी-फंडी लॉबी द्वारा देश में सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए चलाया जा रहा है। ये हिन्दू vs मुस्लिम की तरह है। एक वर्ग को खलनायक बनाकर ध्रुवीकरण करना। जहाँ मुस्लिम नहीं है वहां जाट vs नॉन जाट का इस्तेमाल किया जा रहा है।  वैसे जहाँ मंडी-फंडी लम्बे समय से सत्ता से बहार है, उन राज्यों में इस फार्मूले का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे महाराष्ट्र में मराठा vs नॉन मराठा, झारखण्ड में आदिवासी vs नॉन आदिवासी , बिहार में कुर्मी यादव vs अन्य, हरियाणा में जाट vs नॉन जाट। इस फार्मूले का फायदा भी मंडी फंडी लॉबी को होता है।  अब राजस्थान में जहाँ राजनीती/सत्ता में जाटों का प्रभाव बढ़ रहा है वहा भी जाट vs नॉन जाट लॉबी सक्रिय हो गयी है। पंजाब में भी इसकी 

शुरआत हो चुकी है।

मीडिया भी इस नॉन जाट मिशन का हिस्सा है। जब भी कोई जमीन विवाद , आपसी विवाद या धर्म आधारित कोई लड़ाई झगड़ा हो उसमे मीडिया जाट vs नॉन जाट बना , पुरे देश में जाटों  की छवि खलनायक/शोषक/अत्याचारी की तरह बना देती है। इस से नॉन जाट ध्रुवीकरण हो जाता है , जिसका  नुकसान जाटो  को उठाना पड़  रहा है, हरियाणा इसका उदहारण है।

आप सभी  बारे में अपनी राय दे ताकि इस नॉन जाट ध्रुवीकरण को रोक जा सके। मंडी फंडी को छोड़ सभी किसान मजदूर जातियों को इस ध्रुवीकरण से भरी नुकसान हो रहा है।  

कुछ जाट भी इस नॉन जाट ध्रुवीकरण को बढ़ा रहे है क्योंकि उनको ये नहीं पता कि ये हमारे खिलाफ शाजिश है, और हमें इसका मुक़ाबला करना है। हमें  जाट सहयोगी जातियों को समझाना पड़ेगा, और " फॉर जाट/ प्रॉ जाट/ फार्मर" गठबंधन बनाना पड़ेगा। इसकी शुरुआत जाट को एक मिशन की तरह करनी पड़ेगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें